पति-पत्नी का प्रेम एक सेठ जी थे उनके घर में एक गरीब आदमी काम करता था जिसका नाम था रामलाल जैसे ही राम लाल के फ़ोन की घंटी बजी रामलाल डर गया। तब सेठ जी ने पूछ लिया ?? "रामलाल तुम अपनी बीबी से इतना क्यों डरते हो?" मै डरता नही सेठ जी उसकी कद्र करता हूँ उसका सम्मान करता हूँ। उसने जबाव दिया। मैं हँसा और बोला-" ऐसा कया है उसमें।ना सुरत ना पढी लिखी।" जबाव मिला-" कोई फरक नही पडता सर् कि वो कैसी है पर मुझे सबसे प्यारा रिश्ता उसी का लगता है।" "जोरू का गुलाम।"मेरे मुँह से निकला।"और सारे रिश्ते कोई मायने नही रखते तेरे लिये।"मैने पुछा। उसने बहुत इत्मिनान से जबाव दिया सेठ जी माँ बाप रिश्तेदार नही होते। वो भगवान होते हैं। उनसे रिश्ता नही निभाते उनकी पूजा करते हैं। भाई बहन के रिश्ते जन्मजात होते हैं , दोस्ती का रिश्ता भी मतलब का ही होता है। आपका मेरा रिश्ता भी जरूरत और पैसे का है पर, पत्नी बिना किसी करीबी रिश्ते के होते हुए भी हमेशा के लिये हमारी हो जाती है अपने सारे रिश्ते को पीछे छोडकर। और हमारे हर सुख दुख की सहभागी बन जाती है आखिरी
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